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उसकी अहमियत बताना भी ज़रूरी है – हिंदी कविता

उसकी अहमियत है क्या, बताना भी ज़रूरी है !
है उससे इश्क़ अग़र तो जताना भी ज़रूरी है !!

अब काम लफ़्फ़ाज़ी से तुम कब तक चलाओगे !
उसकी झील सी आंखों में डूब जाना भी ज़रूरी है !!

दिल के ज़ज़्बात तुम दिल मे दबा कर मत रखो !
उसको देख कर प्यार से मुस्कुराना भी ज़रूरी है !!

उसे ये बारहा कहना वो कितना ख़ूबसूरत है !
उसे नग्मे मोहब्बत के सुनाना भी ज़रूरी है !!

किसी भी हाल में तुम छोड़ना हाथ मत उसका !
किया है इश्क़ गर तुमने, निभाना भी ज़रूरी है !!

सहर अब रूठना तो इश्क़ में है लाज़मी लेकिन !
कभी महबूब गर रूठे तो मनाना भी ज़रूरी है !!

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वक़्त को आते न जाते न गुज़रते देखा
न उतरते हुए देखा कभी इल्हाम की सूरत
जमा होते हुए इक जगह मगर देखा है

शायद आया था वो ख़्वाबों से दबे पाँव ही
और जब आया ख़यालों को भी एहसास न था
आँख का रंग तुलु होते हुए...और पढ़ें

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झुमका
आज मैंने अपने तोहफे का बॉक्स निकाला,
जिसे बड़े सलीके से मैंने संभाल के रखा था,
आदत कहूं या तोहफे के प्रति मेरा लगाव
मैंने अपना हर एक तोहफा संभाल के रखा है बड़े प्यार से
और जब ये तोहफा आपके प्यार का दिया हो
तो उसके प्रति प्यार और बढ़ जाता है,
मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ था मुझे बेहद प्यार है इन झुमकों से,
ये झुमके मेरे प्यार के प्यार की निशानी है,
और स्वाभाविक है कि मैंने उनके टूट जाने के डर से
उन्हें एक बॉक्स में बंद कर रख दिया,
जबकि चाइए ये था कि मैं उन्हें पहनती,
उन्हें पहन के संवरती पर मैंने चुना उन्हें महज संभाल के रखना
और आज जब मैंने उन्हें संभाला एक लंबे अरसे के बाद
तो वो मुझे टूटे हुए मिले,
और मैं आहत हुई कि कैसे ये टूट सकते है
मैंने तो बहुत संभाल के बंद कर रखे थे,
पर बार बार उन्हें देखते हुए मन में
आते हुए विचारों से झुंझते हुए समझ आया
कि क्या हमारे रिश्ते भी यू ही नहीं बिख
जाते है झुमकों की तरह
जब हम उन्हें महज संभालने के नाम पर
रिश्तों के एहसासों को जज्बातों को दिल दिमाग
के किसी कोने में बंद कर रख देते है
जबकि झुमकों की ही तरह रिश्ता भी वक़्त मांगता है
जज्बातों की सार संभाल मांगता है किसी बन्द बॉक्स का कोना नहीं,
क्यों हम रिश्तों को प्यार से,
जज्बातों से वक़्त के साथ और नहीं संवार लेते,
क्यों उन्हें बंद कर रख देते है धीरे धीरे टूटने के लिए,
तो अब वक़्त रहते रिश्तों को भी वक़्त दिया जाए
उन्हें महज संभाल नहीं रखते है, उन्हें और संवारते है।

अधूरे प्यार की कविता
तेरा मेरा एक होना नसीब नहीं,
तू साथ मेरे हर पल,
पर जाना करीब नहीं,
हां माना मैंने तुमसे बिछड़ना किस्मत में पहले से लिखा है,
पर यकीन मानो मैंने दूर रह के भी इश्क़ करना सीखा है,
तुमसे बिछड़ने की ये रश्म भी मैं निभाऊंगी,
पर ये प्यार मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी,
तुम्हारा हाथ छूट जाएगा मुझसे,
पर साथ हमेशा निभाऊंगी,
हकीकत से दूर ख्वाबों में तुझ संग अपनी दुनिया बसाऊंगी,
कोई शिकवा नहीं होगा तेरे मेरे दरमिया,
बस प्यार की यादें बन तुझमें रह जाऊंगी,
तू कभी दूर से ही नजर आना,
छुप के ही सही पर मुस्कुराउंगी,
रिश्ता तेरा भी और मेरा भी जुड़ जाएगा किसी और से,
पर यकीन करना इश्क़ को तुम्हारे दिल से ना मिटाऊगी,
जब जिस्म से मेरी रूह आजाद होगी,
इश्क़ को तेरे खुशबू बन हवा में बिखेर जाऊंगी,
इस जन्म की अधूरी मोहब्बत पूरी करने,
मैं अगले जन्म फिर तुम्हारे पास आऊंगी।

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सिलेबस जिन्दगी का (Syllabus Zindagi Ka)
ज़िन्दगी का हाल अब exam का syllabus बन चुका है,
खुशियां अब इतिहास की किताब बन चुकी है,
जो आ जाती है खुशियां कभी रास्ता भटक,
सारा भूगोल हिल जाता है,
आंखो से बहती नदियां बाढ़ ला देती है,
और दिल की ज़मीन में फिर भी सूखा पड़ जाता है,
फिर राजनीति अपना खेल शुरू कर देती है,
लफ्ज़ अपनी ही सरकार के आंसुओ पे पर्दा डालने की कोशिश करते है,
और आंखे विपक्ष बन खामोशी पे सवाल खड़ा कर देती है,
ज़िन्दगी की पहेलियां गणित के उन प्रमेयो के भांति लगती है,
जहां पता है कि जवाब है क्या,
पर जवाब तक के सफर को मानसिक योग्यता पार ही नहीं करने देती,
इन सब को सुलझाने में पूरा अर्थशास्त्र हिल जाता है,
और फिर बजट पत्र और बचत पत्र निकाले जाते है,
जैसे तैसे कर समसामयिकी मुद्दे संभाले जाते है,
और फिर समय अपनी कलाओं से अपनी संस्कृति निभाने का,
Officer बनने का ख्वाब अच्छा है,
पहले जरा अपने हाथों में मेहंदी सजाओ
हाथों को पीला करवाओ,
Officer बन ही जायेगे एक दिन,
पहले किसी के घर के home minister तो बन जाओ।

तेरी याद में एक लम्हा
मुझे यकीन हैं आज मैं तुम्हें पसंद हूं,
कब तक रहूंगी यह बता दो।
जब साथ नहीं रहूंगी तब भी,
जब पास नहीं रहूंगी तब भी,

जब तुम्हारे साथ कोई और होगी,
क्या तब भी???

जब मेरे साथ कोई और होगा,
क्या तब भी???

क्या हम एक दूसरे की,
आखिरी पसंद नहीं बन सकते?

क्याी किसी और को पसंद कर,
हम एक दूजे को पसंद कर पाएंगे,
क्या एक दूजे को पसंद करते हुए,
किसी और को पसंद कर पाएंगे??

अगर नहीं तो फिर,
कैसे रहेंगे बिना एक दूजे के,
और यदि हां तो फिर,
क्यों आज साथ है एक दूजे के??